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Saturday 22 October 2016

मोबाइल रेडिएशन से खतरा


बच्चों पे होता है गहरा असर
उपाय पढ़े और बचे...

      मोबाइल फ़ोन हमेशा टावर को सिग्नल भेजता रहता है। और यह ट्रांसमिशन उस वक़्त भी चलता रहता है जब आप मोबाइल का इस्तमाल नहीं कर रहें हो। ऐसे में अगर मोबाईल आपके शरीर के पास होता है तो मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन शरीर पर बहुत बुरा असर डाल सकती है। मोबाइल फ़ोन द्वारा निकलने वाली रेडिएशन 3 तरह की होती है थर्मल, नॉन थर्मल, मैग्नेटिक रेडिएशन और यह सभी रेडिएशन अलग अलग तरह से शरीर को प्रभावित करती है। मोबाईल फ़ोन कंपनियों द्वारा अपने ग्राहकों को इस6 बारे में जानकारी दी जाती है, यह जानकारी यूज़र गाइड के तौर पर हमे मिलती है। लेकिन लोग मोबाइल फ़ोन की यूजर गाइड को नहीं देखतें, और ऐसे में जाने- अनजाने में स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर जातें है।

जिसको देखते हुए भारत सरकार द्वारा टेलिकॉम इंडस्ट्री को इस बारे मे कहा गया है की, लोगों के लिए ऐसे मोबाइल फ़ोन बनाये जाए जो लोगों के स्वास्थ्य के हिसाब से ठीक रह सकें। भारत सरकार द्वारा स्पेसिफिक एब्सोर्पशन रेट (एस ए आर/ SAR) निर्धारित किया गया है। एस ए आर इस बात को निर्धारित करता है की शरीर के लिए कितनी रेडिएशन नुकसानदायक नहीं है। जिसके आधार पर मोबाइल हैंड सेट बनाने के आदेश दिया गए है, एस ए आर के लिए अलग अलग देशों ने अलग अलग पैमाने निर्धारित किये है।

जहाँ तक हमारे शरीर का सवाल है, तो मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन अगर निर्धारित रहें तो यह शरीर पर कम असर करती है, इन रेडिएशन से शरीर को किसी भी तरह का कोई नुक्सान नहीं होता। चिकित्सकों की बात माने तो हमारा *शरीर 2.0 वाट/किलो रेडिएशन* तक सहन कर सकता है। जिसके आधार पर भारत सरकार ने इन तमाम कंपनियों को *1.6 वाट/किलो* की रेडिएशन छोड़ने वाले हैंड सेट बनाने के आदेश दिए है। लेकिन बावजूद इसके, अगर हम सही रीति से मोबाइल फ़ोन को इस्तमाल नहीं करतें है, या काफी लम्बे समय तक मोबाइल पर बातें करतें रहें तो भी हमारे शरीर को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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*मोबाइल रेडिएशन से बच्चों को ज्यादा खतरा*
  
मोबाइल ने हमारे जिंदगी में एक खास जगह बना ली है. ऐसा लगता है मोबाइल के बगैर हम अधूरे से रह गए हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में अगर हम घर पर मोबाइल भूल जाते हैं तो हमें अपने आप पर बहुत गुस्सा आता है, बहुत खीज होती है. जबकि एक रिसर्च से पता चला है कि मोबाइल फोन और कैंसर में गहरा रिश्ता है. खासतौर पर बच्चे मोबाइल रेडिएशन (विकिरण) की चपेट में ज्यादा आते हैं और सेल फोन की रेडिएशन से बच्चों में ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियां भी होती हैं. इसलिए हो सके तो बच्चों को फोन से दूर रखें. ये रेडिएशन का शिकार जल्दी होते हैं. माना कि मोबाइल के बिना हमारा काम ही नहीं चलता है, हम मोबाइल के बिना एक पल भी नहीं चल पा रहे हैं. फिर भी, कुछ चीजें हैं जो हमें दिमाग में रखनी चाहिए ताकि हम मोबाइल की रेडिएशन से होने वाली बीमारियों से बचे रहें.
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*मोबाइल रेडिएशन से बचने के उपाय*

मोबाइल फोन के बढ़ते इस्तेमाल से व्यक्ति गंभीर रोगों की गिरफ्त में फंस रहा है। बॉडी के सेंसटिव हिस्सों पर मोबाइल के खतरनाक रेडिएशन गहरे वार करता है।मोबाइल फोन के खतरनाक रेडिएशन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने के खतरे का ज्ञान होने के बावजूद मोबाइल का इस्तेमाल छोडऩा संभव नहीं। कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर इस खतरे से काफी हद तक बचाव कर सकते हैं।

*स्पीकर या ईयरफोन* - जब भी आप किसी से फोन पर बात कर रहे हों, कोशिश करें कि फोन सीधे कान पर लगाकर बात न करें। फोन का स्पीकर ऑन कर लें या फिर ईयर फोन का इस्तेमाल करें। कॉल बंद होने के बाद ईयरफोन को तुरंत कान से हटा दें।
*शरीर से दूर रखें*- शरीर से सटाकर या शरीर के किसी हिस्से पर मोबाइल फोन रखना खतरनाक हो सकता है। इसका प्रयोग करते समय हमेशा कुछ दूरी जरूरी बनाए रखें। ऐसा करने से इसके रेडिएशन का प्रभाव कुछ कम हो सकता है।
*बंद मोबाइल को भी नजदीक न रखें* - अगर आप सोचते हैं कि मोबाइल फोन बंद होने पर इसके रेडिएशन कोई प्रभाव नहीं डालते, तो आप गलत हैं। भले ही मोबाइल फोन बंद हो और आप इसका प्रयोग न कर रहे हों, इसे जेब में या तकिये के नीचे रखकर सोने से हमेशा बचें।
चैट और मैसेज का प्रयोग ज्यादा करें - मोबाइल रेडिएशन से बचने का एक बेहतर विकल्प है
*मैसेज चैट करना* कोशिश करें कि जब तक जरूरी न हो कॉल कर बात करने के बजाए मैसेज के माध्यम से बातचीत करें।
*सिग्नल पूरा हो, तभी करें बात* - कहीं कॉल करके बात करना चाहें तो इस बात पर विशेष ध्यान दें कि मोबाइल पर पूरा सिग्नल दिखाई दे। कमजोर सिग्नल में कॉल करने पर फोन को सिग्नल पहुंचाने में ज्यादा मेहनत करनी होती है। एक अध्ययन के अनुसार यदि फोन में सही सिग्नल नहीं दिखाई दे, तो फोन कमजोर है।

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