भारत सरकारने विशेष योग दिनासाठी बनविलेला 'सामान्य योग अभ्यासक्रम'
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*कपालभाती*
परिचय / Introduction
'कपालभाती' यह एक संस्कृत शब्द है। 'कपाल' का मतलब होता है माथा / Forehead और 'भाती' का मतलब होता है प्रकाश / Light। रोज नियमित कपालभाती करने से व्यक्ति का माथा / चेहरे पर कांती या चमक आती है। चेहरे पर चमक होना स्वस्थ और निरोगी व्यक्ति की पहचान होती है। कपालभाती यह एक प्राणायाम का चमत्कारी प्रकार है जिसके कई सारे फायदे है।
विधि / Procedure
एक समान, सपाट और स्वच्छ जगह जहा पर स्वस्छ हवा हो वहा पर कपड़ा बिछाकर बैठ जाए।
आप सिद्धासन, पदमासन या वज्रासन में बैठ सकते है। आप चाहे तो आपको जो आसन आसान लगे या आप हमेशा जैसे निचे जमीन पर बैठते है उस तरह बैठ जाए।
बैठने के बाद अपने पेट को ढीला छोड़ दे।
अब अपने नाक से सांस को बाहर छोड़ने की क्रिया करे। सांस को बाहर छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर धक्का दे।
श्वास अंदर लेने की क्रिया करने की जरुरत नहीं है। इस क्रिया में श्वास अपने आप अंदर लिया जाता है।
लगातार जितने समय तक आप आसानी से कर सकते है तब तक नाक से श्वास बाहर छोड़ने और पेट को अंदर धक्का देने की क्रिया को करते रहे।
शुरुआत में 10 बार और धीरे धीरे बढ़ाते हुए एक बार में 60 बार तक यह क्रिया करे।
आप चाहे तो बीच में कुछ समय का आराम लेकर भी इस क्रिया को कर सकते है।
सावधानिया / Precautions
कपालभाती सुबह के समय खाली पेट, पेट साफ़ होने के बाद ही करे।
अगर खाना खाने के बाद कपालभाती करना है तो खाने के 5 घंटे बाद इसे करे।
कपालभाती करने के बाद 30 मिनिट तक कुछ न खाए। आप चाहे तो थोड़ा पानी ले सकते है।
शुरुआत में कपालभाती किसी योगा के जानकार के देखरेख में ही करे।
गर्भवती महिला, Gastric ulcer, Epilepsy, Hernia के रोगी इस क्रिया को न करे।
Hypertension / उच्चरक्तचाप और ह्रदय रोगी अपने डॉक्टर की सलाह लेकर हे इस क्रिया को करे।
ऐसे तो कपालभाती क्रिया के कोई दुष्परिणाम / side-effects नहीं है फिर भी कपालभाती करते वक्त चक्कर आना या जी मचलाना जैसी कोई परेशानी होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करे।
लाभ / Benefits
वजन कम / weight loss होता है। भारत में ऐसे कई लोग है जिन्होंने कपालभाती से अपना 30 से 40 किलो वजन काम किया है।
पेट की बढ़ी हुई अतिरिक्त चर्बी कम होने में सहायक है। यह आपके कमर के आकार को फिर से सामान्य आकार में लाने में मदद करता है।
चेहरे की झुर्रिया और आँखों के निचे का कालापन दूर कर चेहरे की चमक फिर से लौटाने में मदद करता है।
गैस, कब्ज और अम्लपित्त / Acidity की समस्या को दूर भगाता है।
शरीर और मन के सारे नकारात्मक तत्व और विचारो को मिटा देता है।
शरीर को detox करता है।
स्मरणशक्ति को बढ़ाता है।
कफ विकार नष्ट होते है और श्वासनली की सफाई अच्छे से होती है।
इस क्रिया से रक्त धमनी की कार्यक्षमता बढाती है और बढ़ा हुआ cholesterol को काम करने में मदद होती है।
कपालभाती करने वक्त पसीना अधिक आता है जिससे शरीर स्वच्छ होता है।
कपालभाती के weight loss के अलावा भी कई अन्य महत्वपूर्ण फायदे से अब तक आप परिचित हो चुके है। आज से ही weight loss करने के लिए संतुलित आहार-विहार और व्यायाम के साथ इसे अपने दिनचर्या का हिस्सा बनाकर स्वस्थ और निरोगी जीवन जीने की तरफ अपना कदम बढ़ाए।
जिन लोगो का वजन सामान्य या controlled है वह भी कपालभाती के अन्य लाभ के लिए इस क्रिया को कर सकते है |
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21 जून का योग दिन कार्यक्रम
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*भ्रामरी प्राणायाम : विधि और लाभ*
आजकल की दौड़-भाग और तनाव की जिंदगी में दिमाग और मन को शांत कर चिंता, भय, शोक, इर्ष्या और मनोरोग को दूर भगाने के लिए योग और प्राणायाम से अच्छी कोई और चीज नहीं हैं। मानसिक तनाव और विचारो को काबू में करने के लिए भ्रामरी प्राणायाम किया जाता हैं। भ्रामरी प्राणायाम करते समय भ्रमर (काले भँवरे) के समान आवाज होने के कारण इसे अंग्रेजी में Humming Bee Breath भी कहा जाता हैं। यह प्राणायाम हम किसी भी समय कर सकते हैं। खुर्ची पर सीधे बैठ कर या सोते समय लेटते हुए भी यह किया जा सकता हैं।
भ्रामरी प्राणायाम की विधि
सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर दरी / चटाई बिछाकर बैठ जाए।
पद्मासन या सुखासन में बैठे।
अब दोनों हाथो को बगल में अपने कंधो के समांतर फैलाए।
दोनों हाथो को कुहनियो (Elbow) से मोडकर हाथ को कानों के पास ले जाए।
अब अपनी दोनों हाथों के अंगूठो (Thumb) से दोनों कानों को बंद कर लें।
अब दोनों हाथो की तर्जनी (Index) उंगली को माथे पर और मध्यमा (middle), अनामिका (Middle) और कनिष्का (Little) उंगली को आँखों के ऊपर रखना हैं।
कमर, पीठ, गर्दन तथा सिर को सिधा और स्थिर रखे।
अब नाक से श्वास अंदर लें। (पूरक)
नाक से श्वास बाहर छोड़े। (रेचक)
श्वास बाहर छोड़ते समय कंठ से भ्रमर के समान आवाज करना हैं। यह आवाज पूर्ण श्वास छोड़ने तक करना है और आवाज आखिर तक समान होना चाहिए।
श्वास अंदर लेने का समय 10 सेकंड तक होना चाहिए और बाहर छोड़ने का समय 20 से 30 सेकंड तक होना चाहिए।
शुरुआत में 5 मिनिट तक करे और अभ्यास के साथ समय बढ़ाये।
भ्रामरी प्राणायाम करते समय आप सिर्फ तर्जनी उंगली से दोनों कान बंद कर बाकि उंगली की हल्की मुट्ठी बनाकर भी अभ्यास कर सकते हैं।
आप चाहे तो शरुआत में बिना कान बंद किये भी यह प्राणायाम कर सकते हैं।
शन्मुखी मुद्रा - अंगूठे से दोनों कान बंद करना। तर्जनी उंगली को हल्के से आँखों के ऊपर आँखों के नाक के पासवाले हिस्से तक रखना हैं। मध्यमा उंगली को नाक के पास रखना हैं। अनामिका उंगली को होंटो (lips) के ऊपर और और कनिष्का उंगली को होंटो के निचे रखना हैं। इस मुद्रा में भी भ्रामरी प्राणायाम किया जा सकता हैं।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ
भ्रामरी प्राणायाम से निचे दिए हुए लाभ होते है :
क्रोध, चिंता, भय, तनाव और अनिद्रा इत्यादि मानसिक विकारो को दूर करने में मदद मिलती हैं।
मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं।
सकारात्मक सोच बढ़ती हैं।
अर्धशिशी / Migraine से पीडितो के लिए लाभकारी हैं।
बुद्धि तेज होती हैं।
स्मरणशक्ति बढ़ती हैं।
उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए उपयोगी हैं।
भ्रामरी प्राणायाम करते समय ठुड्डी (Chin) को गले से लगाकर (जालंदर बंध) करने से थाइरोइड रोग में लाभ होता हैं।
Sinusitis के रोगियों को इससे राहत मिलती हैं।
भ्रामरी प्राणायाम में क्या एहतियात बरतने चाहिए ?
भ्रामरी प्राणायाम में निचे दिए हुए एहतियात बरतने चाहिए :
कान में दर्द या संक्रमण होने पर यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
अपने क्षमता से ज्यादा करने का प्रयास न करे।
प्राणायाम करने का समय और चक्र धीरे-धीरे बढ़ाये।
भ्रामरी प्राणायाम करने के बाद आप धीरे-धीरे नियमति सामान्य श्वसन कर श्वास को नियंत्रित कर सकते हैं। भ्रामरी प्राणायाम करते समय चक्कर आना, घबराहट होना, खांसी आना, सिरदर्द या अन्य कोई परेशानी होने पर प्राणायाम रोककर अपने डॉक्टर या योग विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए !
योगासनो की विधी और लाभ सहित जानकारी
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It's amazing. ....about your all post on blog are helpful for us...Keep it up....and best wishes for bright future plantings....JAI KALI
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